चेतेश्वर पुजारा का शांत अलविदा: बिना विदाई मैच के संन्यास, धोनी-सहवाग की तरह हुआ अंत

 हर खेल में विदाई का पल सबसे खास माना जाता है। भरे हुए स्टेडियम, दर्शकों की तालियां, आंसू भरे भाषण और आखिरी बार मैदान पर उतरने का मौका… यही तस्वीरें खिलाड़ी के करियर को यादगार बना देती हैं। क्रिकेट जगत ने भी ऐसे कई लम्हे देखे हैं, जिसमें सचिन तेंदुलकर की 2013 में वानखेड़े स्टेडियम पर हुई विदाई हमेशा लोगों की यादों में दर्ज रहेगी। लेकिन हर किसी को ऐसा सुनहरा मौका नसीब नहीं होता।

बिना तालियों और विदाई के पुजारा का करियर खत्म, धोनी और सहवाग की याद ताज़ा

भारतीय टेस्ट क्रिकेट के स्तंभ कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने भी रविवार को अचानक सोशल मीडिया पर संन्यास की घोषणा कर दी। पुजारा का करियर बेहद शांत और धैर्यपूर्ण बल्लेबाजी का प्रतीक रहा। उन्होंने भारत के लिए 103 टेस्ट खेले और 7,195 रन बनाए। उनकी पहचान एक ऐसे बल्लेबाज़ की रही जिसने कठिन परिस्थितियों में भी विकेट पर टिके रहकर टीम को सहारा दिया। लेकिन अफसोस, इतने बड़े करियर के बाद उन्हें मैदान पर आखिरी बार बल्ला थामने का अवसर नहीं मिला।

पुजारा का आखिरी मैच भारत के लिए 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल रहा, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला गया था। इसके बाद उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का दरवाज़ा धीरे-धीरे बंद हो गया। शायद यही वजह है कि उनका संन्यास किसी औपचारिक मैच के बजाय सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये आया। क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह पल कड़वा-मीठा है, क्योंकि उन्हें उस खिलाड़ी के लिए तालियां बजाने का मौका नहीं मिला जिसने एक दशक से भी ज्यादा समय तक भारत की टेस्ट टीम की रीढ़ बनकर खड़ा रहा।

यह कहानी सिर्फ पुजारा तक सीमित नहीं है। इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह और ज़हीर खान जैसे दिग्गज भी बिना किसी विदाई मैच के ही क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। कभी फिटनेस, कभी फॉर्म और कभी टीम के फैसलों ने इन महान खिलाड़ियों को चुपचाप खेल से दूर कर दिया। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि भविष्य में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे सितारों की विदाई कैसी होगी। क्या उन्हें पुजारा या धोनी की तरह अचानक अलविदा कहना पड़ेगा या तेंदुलकर की तरह भव्य विदाई मिलेगी?

चेतेश्वर पुजारा का करियर सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि धैर्य, दृढ़ता और संघर्ष की मिसाल है। उनका यह शांत संन्यास भले ही दिल तोड़ने वाला हो, लेकिन भारतीय क्रिकेट की यादों में उनका नाम हमेशा एक मजबूत दीवार की तरह अंकित रहेगा।


डिस्क्लेमर: यह लेख समाचार रिपोर्टों और खिलाड़ियों के बयानों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है, न कि किसी खिलाड़ी की आलोचना या किसी संस्था का समर्थन करना।

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