प्रशांत किशोर का बड़ा बयान: NDA के विवादित बिल का समर्थन

बिहार की सियासत में इस समय माहौल बेहद गर्म है। चुनावी राज्य में नेता एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं, गठबंधन नए रंग ले रहे हैं और जनता किसी नए विकल्प की तलाश में है। इसी बीच चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने सबका ध्यान खींच लिया। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए उन विवादित विधेयकों का समर्थन किया है, जिनके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में जेल जाने पर अपनी कुर्सी से हाथ धो बैठेगा।


"संविधान निर्माताओं ने नहीं सोचा था…"

प्रशांत किशोर ने कहा कि जब संविधान बना था तब शायद हमारे देश के संस्थापक यह सोच भी नहीं सकते थे कि सत्ता में बैठे लोग इतने भ्रष्ट और आपराधिक प्रवृत्ति के हो जाएंगे कि जेल जाने के बाद भी पद से चिपके रहेंगे। उनका कहना था कि यदि कोई नेता जेल चला जाता है तो वह बाहर रहकर सरकार चला सकता है, लेकिन जेल की चारदीवारी से शासन चलाना जनता के साथ नाइंसाफी होगी।

अमित शाह की सोच से मेल खाती बात

किशोर के बयान को सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह की बात से जोड़ा जा रहा है। शाह ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए कहा था कि संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना नहीं की होगी कि जेल जाने के बाद भी नेता अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर देंगे।

बिल में क्या है नया

ये तीनों बिल इस समय संसद की समिति को भेजे गए हैं। इनमें साफ लिखा गया है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पाँच साल या उससे अधिक सज़ा वाले मामले में लगातार 30 दिन तक जेल में रहता है, तो उसे स्वतः पद से हटाना होगा। विपक्ष का आरोप है कि यह बिल महज़ आरोपों के आधार पर नेताओं को हटाने का हथियार बन सकता है, क्योंकि दोष सिद्ध होने का इंतज़ार किए बिना ही पद छिन जाएगा।

लालू यादव, केजरीवाल और सोरेन का ज़िक्र

बिहार की राजनीति में यह चर्चा इसलिए भी ज़ोर पकड़ रही है क्योंकि लालू प्रसाद यादव को भ्रष्टाचार मामलों में सज़ा मिलने के बाद ही अयोग्य ठहराया गया था। जबकि इस प्रस्तावित कानून के तहत अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन जैसे नेता भी पहले ही मुख्यमंत्री पद से हट जाते, क्योंकि वे पिछले साल महीनों जेल में रहे थे।

बिहार चुनाव और प्रशांत किशोर की पारी


बिहार में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच चुनावी जंग तेज़ होती जा रही है। ऐसे में प्रशांत किशोर खुद को दोनों से अलग एक नए विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं। इस बिल पर उनका समर्थन यह संकेत देता है कि वे राजनीति में साफ-सुथरी छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती को अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।


अस्वीकरण: यह लेख उपलब्ध समाचार और आधिकारिक बयानों के आधार पर लिखा गया है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है। इसमें व्यक्त विचार किसी संस्था या सरकार की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

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